Haryana- Uttar Pradesh New Highway: हरियाणा और उत्तर प्रदेश के बीच एक नया एक्सप्रेसवे बनने जा रहा है जिसकी अनुमानित लागत 2300 करोड़ रुपये निर्धारित की गई है. इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य दोनों राज्यों के बीच यात्रा समय को घटाकर वाणिज्यिक और आवागमन को तेज करना है. नई सड़क पर दिन में सैकड़ों वाहन सफर करेंगे जिससे क्षेत्रीय विकास को बल मिलेगा. हालांकि इस परियोजना में कई गांवों की जमीन अधिग्रहित करनी पड़ेगी जिससे स्थानीय निवासियों पर असर होगा.

Haryana- Uttar Pradesh New Highway की लागत और महत्व
2300 करोड़ रुपये की इस महत्वाकांक्षी परियोजना का वित्त पोषण केंद्र और राज्य सरकारों के संयुक्त सहयोग से किया जाएगा. राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) इस एक्सप्रेसवे का काम देखेगा और इसकी निगरानी करेगा. नई सड़क परियोजना से हरियाणा और यूपी के बीच व्यापारिक गतिविधियां तेज़ होंगी और सामान की ढुलाई लागत कम होगी. इससे पड़ोसी जिलों में उद्योगों को भी फायदा मिलेगा और रोज़गार के अवसर बनेंगे.
तकनीकी विवरण और मार्गरूपी
यह एक्सप्रेसवे लगभग 150 किलोमीटर लंबा होगा जिस पर चार लेन की मोटरवे बनाई जाएगी. सड़क का निर्माण गर्म मिश्रण पक्की तकनीक से किया जाएगा जिससे टिकाऊपन और कम मेंटेनेंस सुनिश्चित होगा. मार्ग में छोटे पुल और फ्लाईओवर सहित 20 से अधिक कस्बों के पास निकासी रोड भी बनाए जाएंगे. मार्ग पर प्रत्येक 50 किलोमीटर में सर्विस लेन और रेस्ट एरिया का प्रावधान होगा.
प्रभावित गांवों में जमीन अधिग्रहण
इस परियोजना के तहत लगभग 1,200 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहित होगी जिसमें हरियाणा के सोनीपत, पलवल और यूपी के मेरठ, अमरोहा जिले के लगभग 25 गांव शामिल हैं. सरकार ने प्रभावित किसानों को उचित मुआवजा राशि और पुनर्वास योजना का वादा किया है. मुआवजे का निर्धारण बाजार भाव और राज्य सरकार द्वारा तय दरों के आधार पर होगा. स्थानीय प्रशासन ने पारदर्शी प्रक्रिया के लिए टास्क फोर्स का गठन भी किया है.
निर्माण एजेंसी और समय-सीमा
NHAI द्वारा चुनी गई ठेकेदार कंपनी की जिम्मेदारी होगी कि वे तीन साल के भीतर पूरा निर्माण कार्य पूरा करें. परियोजना को चार चरणों में बांटा गया है और हर चरण का परीक्षण एजेंसी की निगरानी में होगा. ठेकेदार को मानक गुणवत्ता और सुरक्षा संबंधी नियमों का पालन करना अनिवार्य होगा.
सामाजिक-आर्थिक प्रभाव
इस एक्सप्रेसवे के बनने से क्षेत्रीय विकास को गति मिलेगी. किसानों को अपनी उपज मंडियों तक जल्दी पहुंचाने में मदद मिलेगी और बाज़ार में नई संभावनाएं उत्पन्न होंगी. छोटे व्यापारियों और परिवहन उद्योग को लाभ होगा जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था में तेजी आएगी. वहीं अधिग्रहित भूमि के मालिकों को मिलने वाले मुआवजे से उनकी आजीविका में भी सुधार होगा, बशर्ते पुनर्वास योजनाएं सही तरीके से लागू हों.