Ganga Express-Way : गंगा एक्सप्रेस-वे उत्तर भारत के आर्थिक और परिवहन मानचित्र में क्रांति लाने वाला प्रोजेक्ट है. यह एक्सप्रेस-वे उत्तर प्रदेश और बिहार को जोड़कर दिल्ली-कोलकाता कॉरिडोर को सुदृढ़ करेगा. लगभग 600 किलोमीटर लंबी इस सड़क का उद्देश्य वाणिज्यिक गतिविधियों को तेज करना, यात्रियों के समय की बचत करना और सड़क सुरक्षा में सुधार लाना है.

Ganga Express-Way का महत्व
गंगा एक्सप्रेस-वे से गंगा नदी के तटवर्ती जिलों का विकास तेज होगा. यह मार्ग कृषि उत्पादों, इंटेलिजेंस और औद्योगिक सामान को तीव्र गति से प्रमुख बाजारों तक पहुंचाएगा. नए रूट के खुलने से ट्रैफिक जाम में कमी आएगी और सड़क दुर्घटनाओं की संख्या घटेगी. साथ ही, पर्यटन स्थलों के लिए आसान कनेक्टिविटी से स्थानीय अर्थव्यवस्था को नई जान मिलेगी.
तकनीकी विवरण
यह चार लेन का एक्सप्रेस-वे होगा जिसे बाद में आठ लेन तक विस्तारित करने की योजना है. सड़क का निर्माण हाईटेक फैब्रिकेटेड एस्फाल्ट और कॉन्क्रीट की परतों से होगा ताकि टिकाऊपन बरकरार रहे. मार्ग में 50 से अधिक फ्लाईओवर, कई पुल और सर्विस लेन बनाए जाएंगे. हर 50 किलोमीटर पर रेस्ट एरिया, पेट्रोल पंप और मेडिकल सुविधा दोनों की व्यवस्था होगी.
प्रभावित क्षेत्रों में भूमि अधिग्रहण
परियोजना के तहत करीब 1,800 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहित की जाएगी. इसमें उत्तर प्रदेश के वाराणसी, मिर्जापुर और बिहार के पटना, वैशाली जिलों के गांव शामिल हैं. प्रभावित किसानों और जमीन मालिकों को केंद्र सरकार की निर्धारित दरों के आधार पर उचित मुआवजा मिलेगा. पुनर्वास के लिए राहत कैम्प और रोजगार प्रशिक्षण केंद्र भी स्थापित किए जाएंगे.
निर्माण एजेंसी और समय-सीमा
राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) इस परियोजना का कार्य संभालेगा. निर्माण कार्य चार चरणों में विभाजित है और प्रत्येक चरण का पूरा होने का अनुमानित समय सीमा 12 से 18 महीने है. कुल मिलाकर यह एक्सप्रेस-वे 4 से 5 साल में बनकर तैयार हो जाएगा. पर्यावरणीय असर को न्यूनतम करने के लिए हर चरण में वृक्षारोपण पहल की जाएगी.
आर्थिक और सामाजिक प्रभाव
नए एक्सप्रेस-वे से करीब 50,000 प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार पैदा होंगे. आसपास के छोटे कस्बे और उद्योगिक ज़ोन भी लाभान्वित होंगे. फलों व सब्जियों का समय पर परिवहन होने से किसानों को बेहतर दाम मिलेगा. महिलाओं और युवाओं के लिए परिवहन आधारित स्वरोजगार के अवसर बढ़ेंगे. रेल और वायु परिवहन पर सड़क का लोड कम होगा.